मीरा और घायल चिड़िया

मीरा एक दयालु लड़की थी। वह अक्सर पेड़ों पर चिड़ियों को दाना डालती थी और उनकी चहचहाहट सुनकर खुश होती थी।

एक दिन, स्कूल जाते वक्त मीरा को पेड़ के नीचे एक छोटी चिड़िया गिरी हुई मिली। चिड़िया का पंख टूटा हुआ था और वह दर्द से तड़प रही थी। मीरा का दिल पिघल गया।

वह चिड़िया को ध्यान से उठाकर घर ले आई। उसने अपनी दादी की मदद से चिड़िया के पंख पर हल्दी और रुई की पट्टी बांधी। मीरा ने चिड़िया को दाने और पानी दिया।

कुछ दिनों तक मीरा ने चिड़िया की बहुत अच्छी देखभाल की। चिड़िया का पंख ठीक हो गया और वह फिर से उड़ने लायक बन गई।

एक सुबह, मीरा ने चिड़िया को पिंजरे से बाहर निकाला। चिड़िया थोड़ी देर कमरे में इधर-उधर उड़ी और फिर खुली खिड़की से बाहर निकलकर आसमान की तरफ उड़ गई।

मीरा को थोड़ा दुख हुआ, पर उसे यह जानकर भी खुशी हुई कि चिड़िया अब स्वस्थ है और आज़ाद है।

उसी शाम, मीरा पेड़ के नीचे बैठी हुई थी, तभी वही चिड़िया उसके कंधे पर आकर बैठ गई। चिड़िया ने मीरा के गाल पर अपनी चोंच से प्यार से स्पर्श किया, मानो मीरा का शुक्रिया अदा कर रही हो।

मीरा को बहुत अच्छा लगा। उसने सीखा कि दयालुता ही सबसे बड़ी ताकत है। इससे न सिर्फ दूसरों को खुशी मिलती है, बल्कि हमें भी अंदर से अच्छा महसूस होता है।

Moral (Shiksha): दयालुता ही सबसे बड़ी ताकत है Kindness is the greatest strength.

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