चिंपू और तितली
एक बार, एक छोटे से गाँव में चिंपू नाम का एक चंचल लड़का रहता था। चिंपू को सुबह जल्दी उठकर तालाब के पास खेलना बहुत पसंद था। वहाँ रंग-बिरंगी तितलियाँ मंडराती रहती थीं।
एक सुबह, चिंपू तालाब के पास खेल रहा था कि उसने एक खूबसूरत नीली तितली देखी। वह तितली को पकड़ना चाहता था, इसलिए वह उसके पीछे दौड़ने लगा। तितली फूल से फूल पर उड़ती रही और चिंपू उसे पकड़ने की कोशिश करता रहा।
बहुत देर दौड़ने के बाद, चिंपू थक गया। वह हांफते हुए रुका और निराश होकर बोला, “मैं उसे कभी नहीं पकड़ पाऊँगा!”
अचानक, एक बूढ़ी अम्मा उसकी तरफ आई। अम्मा ने पूछा, “बेटा, तुम इतने परेशान क्यों हो?”
चिंपू ने उसे बताया कि वह नीली तितली को पकड़ना चाहता था। अम्मा मुस्कुराई और बोली, “बच्चे, तितलियाँ आज़ादी से उड़ने के लिए बनी हैं। उन्हें पकड़ने की कोशिश मत
करो। उनकी खूबसूरती को देखने का आनंद लो।”
चिंपू को अम्मा की बात समझ में आ गई। उसने तितली को देखना शुरू किया, जो अब एक फूल पर बैठी हुई थी। सूरज की रोशनी में उसके पंख चमक रहे थे। चिंपू को एहसास हुआ कि तितली और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है। उस दिन से, चिंपू ने कभी भी तितलियों को पकड़ने की कोशिश नहीं की। वह उन्हें देखकर खुश होता था और उनकी आज़ादी का सम्मान करता था.
सीख: जंगली जीवों को पकड़ना या उन्हें नुकसान पहुँचाना गलत है। उनकी खूबसूरती को उनके प्राकृतिक वातावरण में ही देखना चाहिए। उनकी आज़ादी का सम्मान करें।